बाला मुकुंदाष्टकम

Rate this page

बाला मुकुंदष्टकम बाल श्री कृष्ण की स्तुति में रचा गया है। सूक्त में आठ श्लोक हैं इसलिए इसे अष्टकम कहा जाता है। श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र अनुष्टुप छंद में रचा गया है। और इसमें भगवान विष्णु के एक हजार नाम शामिल हैं। (विष्णु सहस्र नाम स्तॊत्र पार्ट 2) (విష్ణు సహస్ర నామ స్తోత్రం) (आप इन अन्य श्लोकों को अन्य पृष्ठों पर पढ़ सकते हैं: विष्णु सहस्र नाम स्तॊत्र पार्ट 1, श्रीकृष्णा स्तुति, सुब्रह्मण्य स्वामी ध्यानम)

बाला मुकुंदाष्टकम

करारविंदॆन पदारविंदं मुखारविंदॆ विनिवॆशयंतम
वटस्य पत्रस्य पुटॆ शयानं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि    

संहृत्य लॊकान्वटपत्रमध्यॆ शयानमाद्यंतविहीनरूपम  
सर्वॆश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि     

इंदीवरश्यामलकॊमलांगं इंद्रादिदॆवार्चितपादपद्मम  
संतानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि    
लंबालकं लंबितहारयष्टिं शृंगारलीलांकितदंतपंक्तिम 
बिंबाधरं चारुविशालनॆत्रं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि    

शिक्यॆ निधायाद्यपयॊदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम  
भुक्त्वा यथॆष्टं कपटॆन सुप्तं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि  

कलिंदजांतस्थितकालियस्य फणाग्ररंगॆनटनप्रियंतम  
तत्पुच्छहस्तं शरदिंदुवक्त्रं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि 

उलूखलॆ बद्धमुदारशौर्यं उत्तुंगयुग्मार्जुन भंगलीलम  
उत्फुल्लपद्मायत चारुनॆत्रं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि   

आलॊक्य मातुर्मुखमादरॆण स्तन्यं पिबंतं सरसीरुहाक्षम 
सच्चिन्मयं दॆवमनंतरूपं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि   

बाला मुकुंदाष्टकम,करारविंदॆन पदारविंदं,मुखारविंदॆ विनिवॆशयंतम,वटस्य पत्रस्य पुटॆ शयानं,बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि
Facebook20
X (Twitter)20
LinkedIn20
Share
WhatsApp20